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मेरठ; पत्नी का जीजा के साथ नजदीकी की शक में पति ने 7 माह के गर्भवती पत्नी को काट डाला, फिर खुद किया पुलिस को कॉल…

मेरठ का दर्दनाक मामला: गर्भवती पत्नी की हत्या 😢

प्रस्तावना

उत्तरी भारत के मेरठ में हुई यह घटना मानवता पर चोट है। एक पति ने अपनी सात महीने की गर्भवती पत्नी को शक की आग में चाकू और सर्जिकल ब्लेड से मार डाला — और खुद पुलिस को कॉल करके कबूला कि “मैंने अपनी पत्नी को मार दिया, शव घर पर पड़ा है, आकर उठा लो।” यह वह कहानी है जो दिल दहला देने वाली है।

इवेंट का क्रम

घटना 2 अगस्त 2025 की सुबह करीब 9 बजे घटी जब आरोपी रविशंकर (28 वर्ष) अपनी पत्नी सपना (25 वर्ष, सात माह गर्भवती)—जो अपनी बहन पिंकी के घर अम्हेड़ा गाँव में रह रही थीं—के पास पहुँचा। उसने पत्नी को लटकाने का बहाना बना कर पहली मंजिल पर बंद कमरे में ले गया। police के अनुसार, उसने पहले कहा कि “आँखें बंद करो, लocket पहनता हूँ”, फिर अचानक चाकू व ब्लेड से गला रेतते हुए लगभग **20 वार** किए। पूरी वारदात के दौरान बच्ची की भी जान चली गई।🩸

शोक और संदिग्ध वातावरण

छह-पांच सेवन में पुलिस जब घटना स्थल पहुँची, तब आरोपी कमरे में लाश के पास बैठा मिला—उसका चेहरा और हाथ खून से सने हुए थे। उसने स्वयं पुलिस को कॉल कर हत्या स्वीकार की थी। उसके बाद दो घंटे तक शव के पास बैठने की खबर ने पूरे गाँव में शांति भंग कर दी।

मामले की जांच

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर एफआईआर दर्ज की और पोस्टमॉर्टम के साथ फॉरेंसिक जांच तेज की। शुरूआती पूछताछ में रविशंकर ने बताया कि उसे शक था कि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष से संबंध रखती थी, विशेषतः उसका जीजा नाम का व्यक्ति। लेकिन सपनों के परिजन इसे दहेज़ हत्या की प्रवृत्ति मानकर अस्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने थाने में दहेज़ हत्या की दोनों धाराओं के तहत केस भी दर्ज कराया है।

प्रतिक्रिया और सामाजिक प्रभाव

इसी घटना से प्रभावित होकर कई सामाजिक विशेषज्ञों ने घरेलू हिंसा, मानसिक दबाव, अविश्वास और पारिवारिक संरचना की कमजोरी पर बल दिया है। इसने सामाजिक ताने-बाने को काट डाला है कि कैसे अविश्वास कितनी भीषण परिणति ला सकता है। कई लोग घरेलू हिंसा मुकाबिल कानूनी पहलुओं पर जागरूकता की कमी बताते हैं। akwai NGO‑एवं हेल्पलाइन से संपर्क की अपील की जा रही है।

पहले की रिपोर्ट्स और विश्लेषण

लेख की संरचना (सारांश तालिका)

विषय विवरण
दिनांक व समय 2 अगस्त 2025, सुबह ≈ 9 बजे
स्थान अम्हेड़ा गाँव, गंगानगर थाना, मेरठ
पीड़िता सपना, 25 वर्ष, सात माह गर्भवती
आरोपी रविशंकर, 28 वर्ष
हत्या का तरीका चाकू और ब्लेड से लगभग 20 वार, गला रेतना
उसके बाद का व्यवहार दो घंटे तक शव के पास बैठा रहा
पुलिस कॉल “हमने पत्नी को मार डाला… बॉडी पड़ी है…”
मामले की प्रवृत्ति शक/ईर्ष्या या दहेज़ हत्या की आशंका

सोचने वाले पहलू और भावी कदम

यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक संरचना की दरार, मानसिक सेहत और कानूनी जागरूकता का आईना है। कुछ प्रमुख विचार:

निष्कर्ष

यह पूरा मामला भयावह, दर्दनाक और令人震惊 है। परिवार की आँखे छलक उठती हैं, समाज स्तब्ध है और न्याय की आवश्यकता स्पष्ट है। बच्चों व महिलाओं पर घरेलू हिंसा जागरूकता, आत्मरक्षा और कानूनी शिक्षा की ज्यादा जरूरत है। यह सिर्फ एक केस नहीं—यह समाज को चेताने वाला अलार्म है।

इस लेख को मानव भाषा में, साफ HTML और इमोजी के साथ पेश किया गया है ताकि भावनात्मक जुड़ाव भी हो और तथ्य भी साफ‑साफ दिखें। 🙏

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मेरठ का खौफनाक सच: प्यार, शक और खामोश मौत का खेल 😢

घटना का सार

मेरठ के अम्हेड़ा गांव में 2 अगस्त 2025 की सुबह एक ऐसी वारदात हुई जिसने पूरे देश को हिला दिया। रविशंकर नाम के व्यक्ति ने अपनी सात महीने की गर्भवती पत्नी सपना का गला रेतकर हत्या कर दी। घटना के बाद उसने खुद पुलिस को कॉल कर कहा — “मैंने पत्नी को मार डाला है, शव घर पर पड़ा है, आकर उठा लो।”

हत्या से पहले की योजना

रविशंकर ने इस हत्या को अंजाम देने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं की। उसने अपनी पत्नी को बहलाकर कमरे में ले जाकर कहा, “आंखें बंद करो, तुम्हें लॉकेट पहनाता हूं।” सपना को यह बिल्कुल सामान्य लगा क्योंकि पति-पत्नी के बीच प्यार का इज़हार आम बात है। लेकिन उस मासूम को यह नहीं पता था कि यह प्यार नहीं, मौत का बुलावा है।

वारदात के दौरान की स्थिति

पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, रविशंकर ने एक नहीं बल्कि लगभग 20 बार चाकू और सर्जिकल ब्लेड से वार किए। पहले गले पर, फिर पेट पर और फिर चेहरे पर। यह सब इतना अचानक हुआ कि सपना को बचाव का मौका भी नहीं मिला। 😔

गर्भ में पल रही मासूम जान की मौत

सबसे हृदय विदारक पहलू यह है कि सपना सात महीने की गर्भवती थी। उसके साथ-साथ गर्भ में पल रही मासूम जान को भी इस नृशंसता का शिकार होना पड़ा। यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि दो जिंदगियों को खत्म करने जैसा अपराध है।

हत्या के बाद आरोपी का अजीब व्यवहार

हत्या के बाद रविशंकर ने तुरंत भागने के बजाय शव के पास बैठना चुना। लगभग दो घंटे तक वह उसी कमरे में बैठा रहा, जहां उसकी पत्नी का शव खून में लथपथ पड़ा था। फिर उसने खुद पुलिस को फोन किया और शव उठाने के लिए कहा। यह ठंडा व्यवहार पुलिस को भी हैरान कर गया।

शक और अविश्वास का खतरनाक परिणाम

रविशंकर ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि उसे शक था कि उसकी पत्नी का अपने जीजा के साथ नजदीकी रिश्ता है। परिजनों ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया और इसे दहेज उत्पीड़न और पारिवारिक विवाद से जोड़कर हत्या करार दिया। शक का यह जहर इतना खतरनाक साबित हुआ कि इसने तीन जिंदगियां निगल लीं — पत्नी, अजन्मा बच्चा और खुद आरोपी की जिंदगी जो अब जेल की सलाखों के पीछे कटेगी।

मानसिक तनाव और आक्रोश का असर

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं अचानक नहीं होतीं। लंबे समय से पनप रहे गुस्से, असुरक्षा और संवाद की कमी से रिश्तों में दरार गहरी होती जाती है। अगर सही समय पर काउंसलिंग, बातचीत और मानसिक सहायता मिल जाए, तो ऐसी घटनाएं टाली जा सकती हैं।

पड़ोसियों की गवाही

गांव के लोगों का कहना है कि सपना खुशमिजाज और शांत स्वभाव की थी। उसने कभी भी किसी से पति-पत्नी के विवाद के बारे में नहीं बताया। पड़ोसियों ने कहा, “हमें विश्वास ही नहीं हुआ कि रवि इतना खतरनाक कदम उठा सकता है।” यह चुप्पी दर्शाती है कि घरेलू हिंसा हमेशा बाहर से दिखाई नहीं देती।

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने आरोपी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया। हत्या में इस्तेमाल चाकू और ब्लेड को भी बरामद किया गया है। फिलहाल आरोपी को जेल भेज दिया गया है और मामले में हत्या व दहेज हत्या की धाराएं लगाई गई हैं।

कानूनी लड़ाई की शुरुआत

सपना के परिवार ने एफआईआर दर्ज कराकर कहा है कि शादी के बाद से ही लड़की पर दहेज को लेकर दबाव बनाया जा रहा था। परिवार ने न्याय की मांग की है। यह मामला अब अदालत में पहुंचेगा और लंबे समय तक कानूनी लड़ाई चलेगी।

घरेलू हिंसा रोकने के उपाय

ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज और परिवारों को मिलकर कदम उठाने होंगे:

घटना से सीखे जाने वाले सबक

इस दर्दनाक घटना से समाज के सामने कई सवाल खड़े होते हैं:

समाज पर असर

यह मामला सिर्फ मेरठ या यूपी का नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है। रिश्तों में शक, अविश्वास और घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं हर समाज में मौजूद हैं। जब तक इस पर गंभीर चर्चा नहीं होगी, तब तक ऐसे अपराध होते रहेंगे।

निष्कर्ष

सपना की हत्या की कहानी सिर्फ खबर नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक सख्त सबक है। यह घटना बताती है कि प्यार के रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए विश्वास और संवाद जरूरी है। वरना शक की आग में न जाने कितने घर तबाह होते रहेंगे।

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🙏 यह लेख मानव भाषा में, नए दृष्टिकोण और भावनाओं के साथ लिखा गया है।

 

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