
मऊ जॉब स्कैम: 8 युवकों से लाखों की ठगी, बनारस बुलाकर पीटा — पूरी घटना, जांच और बचाव के तरीके 🚨
नौकरी की तलाश में निकले युवाओं को जब “तुरंत जॉइनिंग, अच्छा वेतन और रहने-खाने की सुविधा” जैसे वादे सुनाई देते हैं, तो उम्मीदें पंख लगा लेती हैं। लेकिन कई बार यही उम्मीदें ठगों के हाथों औज़ार बन जाती हैं। उत्तर प्रदेश के मऊ ज़िले से सामने आई ताज़ा घटना में आठ युवकों के साथ ऐसा ही हुआ—लाखों रुपये वसूले गए, बनारस बुलाकर मारपीट तक हुई, और आखिरकार थाने में शिकायत दर्ज करनी पड़ी। 🙁
क्या हुआ? घटना का संक्षेप 📌
- कोपागंज थाना क्षेत्र के भदसा मानोपुर के 8 युवकों ने नामजद तहरीर दी।
- निजी कंपनी में पैकिंग जॉब दिलाने का लालच देकर वाराणसी बुलाया गया।
- रहने-खाने के नाम पर ₹25,000 और आईडी कार्ड के नाम पर ₹15,000 प्रति व्यक्ति लिए गए—यानी लगभग ₹40,000 प्रति युवक।
- कुल वसूली: लगभग ₹3.20 लाख।
- काम न मिलने पर आपत्ति जताने पर मारपीट की गई; पीड़ित वहां से निकलकर थाने पहुँचे।
- पुलिस ने तहरीर के आधार पर जांच शुरू करने की बात कही।
“तहरीर के आधार पर जांच की जा रही है… संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।” — कोपागंज थाना प्रभारी निरीक्षक (रिपोर्ट के अनुसार)
स्टेप-बाय-स्टेप: स्कैम का पैटर्न कैसे चला? 🧩
- कॉल/मैसेज के जरिए टारगेटिंग: युवकों को फोन पर ‘कंपनी में पैकिंग जॉब’ का ऑफर—₹20,000 मासिक वेतन का प्रलोभन।
- लोकेशन चेंज का ट्रिक: “ट्रेनिंग/जॉइनिंग” के नाम पर वाराणसी बुलाना, ताकि परिवार/स्थानीय मदद से दूर रखा जा सके।
- एडवांस पेमेंट: रहने-खाने के लिए ₹25,000 और बाद में आईडी कार्ड बनाने के लिए ₹15,000—रसीद/ऑफर-लेटर बगैरह नहीं।
- डिले और कन्फ्यूजन: “दो-चार दिन और रुको” कहते हुए काम शुरू न कराना; 20 दिन तक टालमटोल।
- विरोध पर हिंसा: रुपये मांगने पर मारपीट।
- एस्केप और FIR: पीड़ितों का मौके से निकलकर सीधे थाने पहुँचना और तहरीर देना।
युवाओं पर असर: आर्थिक, मानसिक और सामाजिक आघात 😔
ऐसे मामलों में सबसे पहला असर आर्थिक होता है—₹40,000 जैसे अमाउंट कई परिवारों के लिए भारी पड़ते हैं। इसके साथ मानसिक तनाव, शर्मिंदगी, परिवार के भरोसे में कमी और भविष्य की नौकरी के प्रति भय भी पैदा होता है। लंबे समय तक कर्ज़ और क्रेडिट पर असर पड़ सकता है।
समाजिक पहलू 🤝
गांव या कस्बों में ऐसे मामले चर्चा का विषय बनते हैं; पीड़ित युवा खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं। यह जरूरी है कि समाज पीड़ित को दोषी ठहराने के बजाय सहारा दे, क्योंकि दोष ठगों का है—पीड़ितों का नहीं।
पुलिस की जांच और अगले कदम 🛡️
तहरीर के अनुसार एक आरोपी स्थानीय क्षेत्र का है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और संबंधित के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। आगे की प्रक्रिया में धारा 406/420 (विश्वासघात/धोखाधड़ी) जैसी धाराएं लग सकती हैं, साथ ही मारपीट के लिए संबंधित धाराएं भी। (ध्यान दें: धाराएं केस-टू-केस बदल सकती हैं; अंतिम निर्णय जांच पर निर्भर करता है.)
FIR के बाद पीड़ितों को क्या करना चाहिए? 📝
- सभी पेमेंट प्रूफ (UPI/बैंक स्टेटमेंट/कैश रसीद) सुरक्षित रखें।
- कॉल रिकॉर्ड, चेट, एड्रेस/लोकेशन जैसी डिजिटल एविडेंस पुलिस/साइबर सेल को दें।
- यदि शारीरिक चोट है, तो सरकारी अस्पताल से MLC कराएं।
- आवश्यकता होने पर धारा 156(3) CrPC के तहत मजिस्ट्रेट से निगरानी का आवेदन—अपने वकील से सलाह लें।
बचाव के 12 पक्के तरीके: खुद को स्कैम-प्रूफ बनाएं 🛑
- लिखित ऑफर लेटर के बिना कभी पैसों का लेन-देन न करें।
- कंपनी का CIN/LLPIN, GST, वेबसाइट, गूगल मैप्स और LinkedIn से सत्यापन करें।
- डोमेन ईमेल (जैसे @company.com) से ही आधिकारिक बातचीत रखें; फ्री ईमेल IDs पर संदेह करें।
- एडवांस फीस (रजिस्ट्रेशन/आईडी/ट्रेनिंग) के नाम पर मांगी गई रकम को रेड फ्लैग समझें।
- किसी भी अनजान पते पर अकेले न जाएं; जाएं तो लोकेशन शेयर और साथी के साथ जाएं।
- रहने-खाने की फीस मांगने पर कानूनी रसीद और कंपनी मुहर की मांग करें।
- नौकरी प्लेटफ़ॉर्म (NCS, रोजगार सेवाएं, प्रतिष्ठित जॉब पोर्टल) का उपयोग करें।
- सभी कॉल/चैट रिकॉर्ड टॉगल ऑन रखें; स्क्रीनशॉट लेते रहें।
- पेमेंट हो तो बैंक/UPI से करें; नकद से बचें।
- परिवार/दोस्तों को हर अपडेट बताएं—सीक्रेसी स्कैमर्स का हथियार है।
- संदेह होने पर 1930 (राष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी हेल्पलाइन) पर तुरंत कॉल करें। 📞
- स्थानीय साइबर थाना में ऑनलाइन शिकायत (cybercrime.gov.in) दर्ज कराएं।
कानूनी/नियामकीय फ्रेमवर्क: पीड़ितों के अधिकार ⚖️
भारत में धोखाधड़ी/विश्वासघात/मारपीट जैसे अपराधों के लिए IPC में प्रावधान हैं। जॉब स्कैम में यदि डिजिटल पेमेंट या ऑनलाइन संचार हुआ है, तो आईटी एक्ट और साइबर नियम भी लागू हो सकते हैं। महत्वपूर्ण है कि पीड़ित समय पर शिकायत करें—क्योंकि कई बार तुरंत कार्रवाई से धन की रिकवरी की संभावना बढ़ जाती है।
ऐसे स्कैम क्यों बढ़ रहे हैं? 🔍
रोज़गार की तलाश, छोटे शहरों में अवसरों की कमी, और सोशल मीडिया/मैसेजिंग ऐप्स के जरिए लो-कॉस्ट आउटरीच ने स्कैमर्स के लिए मैदान आसान किया है। कमीशन-बेस्ड एजेंट और फेक कंसल्टेंसी भी इस इकोसिस्टम को फीड करती हैं। समाधान है—वेरिफाइड चैनल्स, ड्यू डिलिजेंस, और कठोर प्रवर्तन।
टाइमलाइन: इस केस में क्या-क्या हुआ? 🗓️
- 📞 पहला संपर्क: युवकों के मोबाइल पर कॉल/ऑफर—पैकिंग जॉब, ₹20,000 वेतन।
- 🚆 वाराणसी बुलावा: जॉइनिंग/ट्रेनिंग के बहाने—लंका थाना क्षेत्र, दासी स्थित मकान में रुकवाया गया।
- 💰 रहना-खाना: ₹25,000 प्रति व्यक्ति; बाद में आईडी कार्ड के लिए ₹15,000 और।
- ⏳ लगातार टालमटोल: कई दिन—फिर ~20 दिन तक भी काम शुरू नहीं।
- 👊 विरोध पर हिंसा: पैसे मांगने पर मारपीट।
- 🏃 एस्केप: सुबह मौके से निकलकर सीधे थाने पहुँचना; नामजद तहरीर।
- 🛡️ जांच: थाना—“संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।”
पीड़ितों के लिए तुरंत चेकलिस्ट ✅
- UPI/बैंक स्टेटमेंट डाउनलोड करें और PDF में सेव करें।
- सभी कॉल लॉग और चैट का बैकअप लें।
- जहाँ मारपीट हुई, उस लोकेशन का नक्शा/पिन सेव करें।
- मेडिकल जांच कराएं; डॉक्टर की रिपोर्ट/फोटो कॉपी रखें।
- FIR नंबर लिखकर सुरक्षित रखें; अगली तारीख/अपडेट नोट करें।
समाज और प्रशासन की भूमिका 🙌
पंचायत/नगर इकाइयों में रोज़गार हेल्प-डेस्क और स्कूल-कॉलेज स्तर पर स्कैम जागरूकता सत्र जरूरी हैं। पुलिस-प्रशासन के साथ इंडस्ट्री बॉडीज़ मिलकर वेरिफाइड जॉब बोर्ड और हॉटलाइन चला सकती हैं।
निष्कर्ष 🧭
मऊ की यह घटना चेतावनी है कि “ऑफर जितना आसान दिखे, उतनी ज्यादा जांच ज़रूरी है।” लिखित ऑफर, कंपनी की वैधता, और पेमेंट के हर कदम पर प्रूफ—यही आपकी सबसे बड़ी ढाल है। अगर आपके साथ या आसपास किसी के साथ ऐसा हुआ है, तो चुप न रहें—कानूनी मदद लें और ठगों को सज़ा दिलवाएं। 💪
FAQ — आपके सवाल, हमारे जवाब ❓
क्या नौकरी के लिए फीस देना क़ानूनी है? 🧾
अधिकांश कंपनियां उम्मीदवार से कोई एडवांस फीस नहीं लेतीं। यदि कोई फीस मांगी जाए तो उसका उद्देश्य, राशि, रसीद और कंपनी की मोहर अनिवार्य होनी चाहिए। संदिग्ध लगे तो तुरंत मना करें।
ठगी होने पर सबसे पहले किसे कॉल करें? 📞
1930 (राष्ट्रीय साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन) या नज़दीकी थाने/साइबर थाना से संपर्क करें; जितनी जल्दी करेंगे, उतना बेहतर।
क्या पैसा वापस मिल सकता है? 💸
कई मामलों में समय पर शिकायत और लेन-देन के साक्ष्य देने पर आंशिक/पूर्ण रिकवरी संभव हुई है। यह केस-टू-केस और जांच पर निर्भर करता है।
मऊ जॉब स्कैम: 8 युवकों से लाखों की ठगी, बनारस बुलाकर पीटा
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 8 युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपए की ठगी की गई। आरोप है कि ठगों ने युवकों को वाराणसी (बनारस) बुलाया और जब उन्होंने पैसे वापस मांगे तो उन्हें बुरी तरह पीटा गया। यह मामला अब पुलिस के हाथों में है और जांच तेजी से चल रही है। 😲
कैसे हुआ जॉब स्कैम?
बताया जा रहा है कि युवकों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर गिरोह ने पहले उनसे पैसे ऐंठे। ठगों ने दावा किया कि वे उन्हें बड़े प्राइवेट सेक्टर और सरकारी ठेकों में नौकरी दिला देंगे। इस भरोसे में युवकों ने लाखों रुपये तक दे दिए। लेकिन जब हकीकत सामने आई तो मामला ठगी से हिंसा तक पहुंच गया।
बनारस में युवकों की पिटाई
जैसे ही युवकों ने पैसों की वापसी की मांग की, ठगों ने उन्हें वाराणसी बुलाया। वहां पर उन्हें बेरहमी से पीटा गया। इससे साफ है कि यह सिर्फ ठगी ही नहीं बल्कि एक आपराधिक साज़िश थी। 😡
पुलिस जांच की स्थिति
पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर ली है और आरोपियों की तलाश की जा रही है। बताया जा रहा है कि गिरोह पहले से ही कई जिलों में सक्रिय था और बेरोजगार युवाओं को फंसाकर उनसे मोटी रकम वसूल रहा था।
आपके लिए सुरक्षा गाइड
- कभी भी अनजान लोगों को नौकरी के लिए पैसे न दें।
- सिर्फ सरकारी पोर्टल और आधिकारिक वेबसाइटों पर भरोसा करें।
- अगर कोई व्यक्ति आपसे एडवांस पैसा मांगे, तो तुरंत पुलिस या साइबर सेल में शिकायत करें।
- नौकरी के नाम पर बड़े पैकेज का लालच अक्सर धोखाधड़ी का हिस्सा होता है।
निष्कर्ष
मऊ का यह जॉब स्कैम बेरोजगार युवाओं के लिए एक बड़ा सबक है। नौकरी की तलाश में ठगों के झांसे में न आएं और हमेशा सत्यापित स्रोतों पर ही भरोसा करें। पुलिस की जांच से उम्मीद है कि ऐसे गिरोहों पर जल्द ही शिकंजा कसा जाएगा। 🚔
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