🚨 CJI Surya Kant का बड़ा फैसला: अब खत्म हुई Same-Day Mention की प्रैक्टिस! क्या होगा असर? ⚖️
भारत के नए मुख्य न्यायाधीश CJI Surya Kant ने पद संभालते ही ऐसा बड़ा कदम उठाया है, जिसने पूरे न्यायालय और वकील समुदाय में हलचल मचा दी है। Supreme Court में सालों से चल रही same-day mention की प्रथा को उन्होंने पहले ही दिन खत्म कर दिया। 😮
यह फैसला सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि न्याय व्यवस्था को तेज, साफ और संतुलित बनाने की दिशा में उठाया गया अहम कदम माना जा रहा है। इस आर्टिकल में हम बेहद आसान और इंसानी भाषा में समझेंगे कि यह फैसला क्यों लिया गया, इससे क्या बदलेगा और आम जनता पर इसका क्या असर पड़ेगा। 😊
💡 Same-Day Mention होता क्या है?

अगर आप कोर्ट सिस्टम को थोड़ा भी जानते हैं, तो ‘मेंशनिंग’ शब्द जरूर सुना होगा। Supreme Court में हर सुबह वकील अचानक कोर्ट में आकर कहते थे—
“My lord, this matter is urgent, please list it today.” 🙏
यानी बिना किसी लिखित आवेदन के उसी दिन केस सूचीबद्ध करने की मांग। इस कारण कभी-कभी कोर्ट के सुबह के 15–20 मिनट सिर्फ मेंशन लेकर ही बीत जाते थे और काम का आधा समय मेंशन में ही निकल जाता था।
Justice Surya Kant को यही सिस्टम गलत लगा—क्योंकि हर कोई ‘आकस्मिक’ बनकर अपना केस उसी दिन लगाने की कोशिश करता था।
⚠️ तो CJI Surya Kant ने क्या बदल दिया?
CJI Surya Kant ने साफ कहा कि:
- अब कोई भी केस मौखिक रूप से मेंशन कर के उसी दिन नहीं लग सकता।
- हर ‘urgent’ केस के लिए लिखित urgency letter</strong देना होगा।
- कोर्ट वही केस तुरंत सुनेगी जिसमें personal liberty</strong या death penalty</strong जैसा वास्तविक खतरा हो।
- बाकी सारे केस तय प्रक्रिया के अनुसार समय मिलने पर ही लगेंगे।
यानी अब सिस्टम मेहरबानी पर नहीं, प्रक्रिया पर चलेगा। 😊
🧠 यह फैसला क्यों जरूरी था?

CJI Surya Kant की सोच बहुत साफ है —
Court का समय बहुत मूल्यवान है और उसे ‘अचानक मांग’ पर नहीं चलना चाहिए।
सच में, कई बार वकील सिर्फ अपने क्लाइंट को खुश करने के लिए भी उसी दिन मेंशन करवाते थे। इससे न सिर्फ बाकी मामलों में देरी होती थी, बल्कि जजों का ध्यान भी बार-बार बंटता था।
इस नए सिस्टम से एक तरह से “खास लोगों की पहुंच” वाली छवि भी खत्म होगी। अब कोई भी वकील सिर्फ पहचान या प्रभाव से केस उसी दिन सूचीबद्ध नहीं करवा सकेगा।
⚖️ आम जनता के लिए क्या फायदे? 😊
- तेज न्याय: कोर्ट का समय बचेगा, जिससे बाकी मामलों पर तेज सुनवाई होगी।
- निष्पक्षता बढ़ेगी: अब कोई भी “VIP ट्रीटमेंट” नहीं ले पाएगा।
- सिस्टम साफ और पारदर्शी होगा: हर केस एक ही नियम से गुजरेगा।
- जजों पर अनावश्यक दबाव कम: मेंशनिंग का शोर खत्म होगा।
आम जनता अक्सर सोचती है कि कोर्ट में कुछ खास लोगों का काम पहले हो जाता है, लेकिन Surya Kant का फैसला इस सोच को बदलने की दिशा में बड़ा कदम है।
👨⚖️ वकील समुदाय पर क्या असर पड़ेगा?
देखा जाए तो वकील अब अपने हर urgent मामले को पहले से तैयार करके ही लाएँगे।
कई वकीलों को यह बदलाव कठिन लगेगा क्योंकि वो सुबह-सुबह मेंशन कर बड़ी राहत ले आते थे। परंतु लंबे समय में इससे कोर्ट की कार्यक्षमता बढ़ेगी और न्याय तेज होगा।
यह बदलाव वकीलों को अधिक पेशेवर (professional) और प्रक्रिया-केंद्रित बनने की ओर ले जाएगा।
🔥 क्या यह फैसला भविष्य में और बदलाव लाएगा?
CJI Surya Kant कानून और न्यायिक प्रशासन में बदलाव लाने के लिए जाने जाते हैं।
इस कदम से संकेत मिल रहा है कि आने वाले समय में:
- केस-लिस्टिंग सिस्टम और तेज होगा।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर urgency letters का सिस्टम आ सकता है।
- एक बार फिर अदालत खुले और पारदर्शी नियमों की ओर बढ़ेगी।
यानी Supreme Court अब और भी आधुनिक और समय-कुशल बनने की ओर है।
📌 क्या यह फैसला विवाद खड़ा करेगा?
किसी भी बड़े बदलाव की तरह, इसके आलोचक भी होंगे। कुछ वकील कहेंगे कि मौखिक मेंशन से कई genuinely urgent मामलों को राहत मिलती थी — लेकिन CJI ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि “जो मामला सच में आपात है, उसे छूट मिलेगी।”
इसलिए विवाद की गुंजाइश कम है, क्योंकि जनता और अदालत दोनों का हित इसी में है।
🏁 निष्कर्ष: Surya Kant ने साफ संदेश दे दिया है ✨
Supreme Court में अब काम अनुशासन से होगा, अचानक मांग से नहीं।
CJI Surya Kant का यह फैसला आने वाले समय में न्यायपालिका को और व्यवस्थित, पारदर्शी और जनता-केंद्रित बनाएगा। यह सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि न्यायपालिका में नई शुरुआत की तरह है।
लोग इस फैसले को एक “साहसिक और आवश्यक कदम” कह रहे हैं — और सच भी है। आखिर न्याय तभी समय पर मिलता है जब प्रक्रिया साफ और ठोस हो। ⚖️✨