जम्मू-कश्मीर में बादल फटना और भूस्खलन: 11 लोगों की मौत, कई घर तबाह
जम्मू-कश्मीर एक बार फिर से प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया है। रामबन जिले में बादल फटने और रेयासी जिले में भूस्खलन की घटनाओं ने लोगों की जिंदगी को झकझोर कर रख दिया है। इन दोनों हादसों में अब तक कम से कम 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल और लापता बताए जा रहे हैं।
रामबन में बादल फटने की घटना 🌧️
रामबन जिले के राजगढ़ इलाके में बादल फटने की घटना सामने आई। तेज बारिश और अचानक बढ़े पानी ने न केवल खेतों और सड़कों को तबाह किया, बल्कि कई घरों को भी नुकसान पहुंचाया। प्रशासन के अनुसार इस घटना में कम से कम 3 लोगों की मौत हो गई है और 2 से 5 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अचानक तेज गर्जना के साथ बारिश शुरू हुई और देखते ही देखते पानी का सैलाब गाँव की ओर बढ़ आया। कुछ ही मिनटों में घरों और खेतों में भारी तबाही मच गई।
रेयासी जिले में भूस्खलन की त्रासदी ⛰️
रामबन की घटना के कुछ घंटों बाद ही रेयासी जिले के महोर इलाके में बड़ा भूस्खलन हुआ। यह भूस्खलन इतना शक्तिशाली था कि एक पूरा मकान मलबे के नीचे दब गया। इस घर में रहने वाले पति-पत्नी और उनके पांच बच्चे सभी की मौत हो गई। यानी इस हादसे में एक ही परिवार के सात लोगों की जान चली गई।
रेस्क्यू टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद सभी शवों को मलबे से बाहर निकाला। यह हादसा इलाके के लिए बेहद दर्दनाक साबित हुआ और आसपास के गाँवों में दहशत फैल गई।
कुल मौतों का आँकड़ा 📊
अगर दोनों घटनाओं को मिलाकर देखा जाए तो अब तक की पुष्टि के अनुसार कम से कम 11 लोगों की मौत हो चुकी है।
- रामबन: बादल फटने से 3 लोगों की मौत, 2-5 लापता
- रेयासी: भूस्खलन से 7 लोगों की मौत (एक ही परिवार)
लापता लोगों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि राहत और बचाव अभियान अभी भी जारी है।
रेस्क्यू ऑपरेशन 🚑
जम्मू-कश्मीर प्रशासन और आपदा प्रबंधन दल ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया। NDRF और SDRF की टीमें मौके पर पहुँच चुकी हैं। स्थानीय पुलिस और सेना भी गाँव-गाँव जाकर मलबा हटाने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने में लगी हुई हैं।
राहत शिविर लगाए जा रहे हैं और प्रभावित परिवारों को अस्थायी आश्रय दिया जा रहा है। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार आपदाएँ ⚠️
जम्मू-कश्मीर और हिमालयी इलाके अक्सर ऐसी प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होते रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में राज्य के अलग-अलग हिस्सों से बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएँ लगातार सामने आई हैं।
14 अगस्त 2025 को किश्तवाड़ जिले के चोसिती गाँव में भीषण बाढ़ आई थी, जिसमें 65 लोगों की मौत हो गई थी और कई अब भी लापता हैं।
स्थानीय लोगों का अनुभव 👥
रामबन और रेयासी के स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार हो रही बारिश ने पहले ही खतरा बढ़ा रखा था। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं और कई परिवार अब बेघर हो चुके हैं। लोगों ने प्रशासन से माँग की है कि उन्हें तुरंत पुनर्वास और मुआवजा दिया जाए।
विशेषज्ञों की राय 🔍
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और अनियमित मॉनसून पैटर्न ऐसी घटनाओं की बड़ी वजह हैं। लगातार बढ़ते तापमान और अत्यधिक वर्षा से पहाड़ी इलाकों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में ऐसे हादसों की संख्या और बढ़ सकती है। इसलिए सरकार को आपदा प्रबंधन तंत्र को और मज़बूत करना होगा।
सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया 🏛️
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के कई मंत्रियों ने इस घटना पर दुख जताया है। सरकार ने पीड़ित परिवारों को राहत राशि देने की घोषणा की है। साथ ही प्रभावित इलाकों में सेना और आपदा प्रबंधन बल की तैनाती की गई है।
लोगों के लिए चेतावनी 🚨
प्रशासन ने पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों से अपील की है कि वे मौसम विभाग की चेतावनी पर ध्यान दें और भारी बारिश के दौरान सुरक्षित जगहों पर चले जाएँ। नदी किनारे और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी गई है।
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर 💰
जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है। इस तरह की प्राकृतिक आपदाएँ न केवल स्थानीय लोगों के जीवन पर असर डालती हैं, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी बुरी तरह प्रभावित करती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के कारण कई पर्यटक यात्रा रद्द कर रहे हैं। होटल, ट्रैवल एजेंसियाँ और स्थानीय दुकानदारों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
भविष्य की तैयारी और तकनीकी उपाय 🛰️
विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को पहाड़ी इलाकों में अर्ली वार्निंग सिस्टम (Early Warning System) को और मज़बूत करना चाहिए। सैटेलाइट और ड्रोन की मदद से भूस्खलन संभावित इलाकों की निगरानी की जा सकती है।
इसके अलावा गाँव-गाँव में आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाने और लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचने के मार्ग बताने की आवश्यकता है।
शिक्षा और जागरूकता अभियान 📢
आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थानीय लोगों को पहले से जागरूक किया जाए तो जान-माल की हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है। स्कूलों और कॉलेजों में आपदा प्रबंधन शिक्षा को शामिल करना ज़रूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी को पता हो कि आपदा की स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया करनी है।
निष्कर्ष 📝
रामबन और रेयासी की ये घटनाएँ दिखाती हैं कि प्राकृतिक आपदाएँ अचानक आकर कितनी बड़ी तबाही मचा सकती हैं। अब तक 11 लोगों की मौत और कई लोगों का लापता होना यह साबित करता है कि आपदा प्रबंधन प्रणाली को और मज़बूत करना बेहद ज़रूरी है।
सरकार को न सिर्फ तात्कालिक राहत देनी होगी बल्कि लंबे समय के लिए ऐसे क्षेत्रों में सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी ध्यान देना होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से जान-माल की क्षति को कम किया जा सके।