20 या 21 अक्टूबर? Diwali 2025 की तिथि का कंफ्यूजन दूर — लक्ष्मी-गणेश पूजन मुहूर्त समझें 🪔✨

सरल भाषा में, practical दिशानिर्देश और घर पर किए जाने वाले पूजन-कदम — ताकि इस दीपावली पर भ्रम न रहे और पूजा शांति से हो सके।
कन्फ्यूजन कहाँ से आता है? 🤔
हर साल Diwali की तारीख पञ्चांग में आने वाली अमावस्या (कार्तिक अमावस्या / दिवाली) की तिथि के आधार पर तय होती है। कभी-कभी अमावस्या की शुरुआत एक दिन के दोपहर-भाग में और समाप्ति अगले दिन शाम तक रहती है — इसलिए लोग सोचते हैं कि दिवाली किस तारीख को मनानी चाहिए: जिस दिन की शाम को दीप जले या जिस दिन की अमावस्या पूरी चली? यही मुख्य कारण होता है।
साधारण भाषा में: दिवाली वह रात होती है जब सन्ध्या के बाद घर में लक्ष्मी-पूजन किया जाता है — और ज्यादातर पञ्चांगों के अनुसार यह 20 अक्टूबर 2025 की शाम को माना जा रहा है।
Diwali 2025 — तिथियों का सरल सार
मुख्य तिथियाँ (सारांश):
- अमावस्या (कार्तिक अमावस्या) आरंभ: 20 अक्टूबर 2025 दोपहर में।
- अमावस्या समाप्ति: 21 अक्टूबर 2025 शाम तक (यह शहर-विशेष समय पर निर्भर करेगा)।
- व्यावहारिक रूप से लक्ष्मी-गणेश पूजन: 20 अक्टूबर 2025 की शाम को अधिकतर शुभ माना जा रहा है। 🪔
नोट: इन सामान्य समयों में छोटे-मोटे स्थानीय समय (शहर या गाँव के हिसाब से) से फर्क हो सकता है — इसलिए अंतिम मुहूर्त के लिए अपने स्थानीय पञ्चांग या पंडित से मिलकर समय देख लें।
लक्ष्मी-गणेश पूजा का practical तरीका — स्टेप बाय स्टेप 🙏
नीचे आसान कदम दिए जा रहे हैं — बिना ज़्यादा जटिलता के, घर पर साधारण और सही ढंग से किया जा सके:
- सफाई और व्यवस्था: पूजा स्थल (घर का मंडप या पूजा-कोना) अच्छी तरह साफ़ करें। दीपक, मिट्टी के दीये या मोमबत्ती, रोली, अक्षत (चावल), नए फूल और थोड़ा पवित्र जल रखें।
- सूर्यास्त के बाद पूजा का आरंभ: पारंपरिक रूप से दीपावली की पूजा शाम के समय की जाती है — घर के मुख्य द्वार के पास और पूजा-स्थल दोनों जगह दीपक लगाएँ।
- गणेश एवं लक्ष्मी-मूर्ति/चित्र स्थापित करें: पहली पूजा गणेश जी को लगाएँ (विघ्न निवारण के लिए)। उसके बाद माता लक्ष्मी का स्मरण और आराधना करें।
- मूल मंत्र और आरती: सरल आरती, दीप प्रज्वलन और 11 या 21 दीपकें घर के चारों कोनों में जलाना शुभ माना जाता है। यदि आप मंत्र बोलना चाहते हैं तो “ॐ श्री गणपतये नमः” और “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” जैसे संक्षिप्त मंत्र उपयोग कर सकते हैं।
- प्रसाद और भोग: फल, मिठाई और थोड़ा सा भोग चढ़ाएँ।
- दान और सहायताः दिवाली के दिन छोटी-छोटी दान क्रियाएँ (खाद्य, कपड़े या ज़रूरतमंदों को सहयोग) बहुत शुभ मानी जाती हैं।
टिप: अगर किसी समय पर संदेह हो तो उस शाम के पहले उपलब्ध शुभ-अवसर (प्रदोष/अर्घ्य) और राजधानी-शहर के लोकल मुहूर्त देखें।
मुहूर्त (समय) कैसे पढ़ें — आसान तरीका ⏳
मुहूर्त देखना कठिन लगता है पर सरल बिंदु याद रखें:
- अमावस्या तिथि का आरम्भ-समय देखें (तिथि किस दिन के कौन-से समय से शुरू हो रही है)।
- लक्ष्मी-पूजन सामान्यतः शाम के समय (सूर्यास्त के बाद) का शुभ समय होता है।
- कुछ पण्डित और वेबसाइटें शहर-विशिष्ट पूजन समय देती हैं — दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई इत्यादि के लिए अलग अलग मिनट-घंटे मिल सकते हैं।
- सबसे आसान: अगर अमावस्या उसी शाम शुरू हो रही है तो उसी शाम पूजा कर लें — यही अधिकतर पण्डित और पञ्चांग सुझाते हैं।
FAQs — छोटे सवाल, सीधे जवाब ❓
Q: क्या 21 अक्टूबर को भी पूजा करना गलत होगा?
A: बिल्कुल नहीं — अगर आपकी पारिवारिक परंपरा या शहर के अनुसार 21 को शाम-वाला समय ज्यादा शुभ बतलाया गया है तो उसी दिन पूजा कर सकते हैं। दोनों में से कोई भी विकल्प असमय या अशुभ नहीं माना जाता।
Q: क्या दीपक जलाने का कोई विशेष नियम है?
A: घर के मुख्य द्वार और पूजा-ठांव पर गुरुक्षेत्र/दीपक जलाएँ। पारंपरिक रूप से दीए में घी/तेल डालें; अगर न हो तो मोमबत्ती का उपयोग करें।
Q: बिना पंडित के क्या पूजा कर सकते हैं?
A: हाँ — सरल मन से, गणेश और लक्ष्मी को आमंत्रित कर के, दीप जला कर और परिवार के साथ भोग/प्रसाद अर्पित कर के पूजा की जा सकती है।
प्रैक्टिकल डॉज़ & डोंट्स — घर पर ध्यान रखने योग्य बातें ✅❌
Do:
- साफ-सफाई रखें और छोटी-छोटी दान क्रियाएँ करें।
- दीपक जलाते समय बच्चों और पालतू जानवरों का ध्यान रखें।
- किसी भी विवाद से पहले शांति बनाए रखें — त्योहार में मेल-जोल ज़रूरी है।
Don’t:
- अत्यधिक पटाखों से पड़ोसियों या पर्यावरण को परेशान न करें।
- पूजा के समय मोबाइल फोन या शोर कम रखें — यह आध्यात्मिकता के लिए अच्छा है।
शहर-विशेष समय (उदाहरण)
यहाँ सिर्फ़ सामान्य उदाहरण दिए जा रहे हैं (हर साल और शहर के अनुसार थोड़ा फरक हो सकता है):
- नई दिल्ली: लक्ष्मी-पूजा का शुभ समय शाम के लगभग 7:00 बजे से 8:30 बजे के बीच आ सकता है।
- मुंबई: शाम-प्रदोष के साथ 7:15 बजे के बाद पूजा-समय देखना शुभ माना जा सकता है।
- कोलकाता / चेन्नई: स्थानीय सूर्यास्त और तिथि आरम्भ पर निर्भर करता है — स्थानीय पञ्चांग देखना बेहतर।
ध्यान दें: ऊपर के समय केवल संकेत के लिए हैं — सटीक मिनट/घंटे के लिए अपने स्थानीय पञ्चांग या ज्योतिष पर भरोसा करें।
कन्फ्यूजन खत्म करने के लिए सबसे practical सुझाव 👇
- अगर आपके परिवार या मंदिर की परंपरा किसी तय तारीख पर पूजा कहती है — वही मानें। परंपरा से मिले आशीर्वाद का अपना महत्व है।
- स्थानीय पण्डित या विश्वसनीय पञ्चांग पर तुरंत नजर डालें — वे शहर-विशेष समय बताएंगे।
- अन्यथा: अमावस्या की जिस शाम में तिथि आरम्भ हुई है, उसी शाम लक्ष्मी-पूजन कर लें — यह सबसे सरल और प्रमाणिक रास्ता है।
निष्कर्ष — क्या याद रखें? ✨
दिवाली का असली सार रोशनी, सद्भाव और नई शुरुआत का संदेश है। 20 या 21 तारीख की तकनीकी बातों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि आप मन से पूजन करें, शांति रखें और जरूरतमंदों की मदद करें। अगर सिर्फ एक लाइन याद रखना हो — इस साल लक्ष्मी-गणेश पूजा 20 अक्टूबर 2025 की शाम को अधिकतर शुभ मानी जा रही है।
Read More — विस्तृत पूजन विधि और मंत्र (क्लिक करें)
विस्तृत पूजन क्रम (संक्षेप में)
- घटना-स्थल की सफाई और रंगोली (यदि करना चाहें)
- गायत्री/शांति पाठ (यदि परिवार परंपरा में करते हैं)
- गणेश पूजा: दूर्वा, मोदक/मिठाई अर्पण
- लक्ष्मी पूजा: दीप, फल-मिठाई, अक्षत और रोली
- आरती और भजन/प्रार्थना
- प्रसाद का वितरण और पड़ोसियों का अभिनंदन
संकेत-मंत्र:
गणेश के लिए: ॐ गण गणपतये नमः
लक्ष्मी के लिए: ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः