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💥 “30 सेकंड में उजड़ गया पूरा प्लांट!” तेलंगाना ब्लास्ट में 36 की मौत, सच्चाई रोंगटे खड़े कर देगी!

💥 तेलंगाना फैक्ट्री ब्लास्ट: 30 जून की वो रात जिसने 36 जिंदगियों को छीन लिया

 

तेलंगाना के संगेरेड्डी ज़िले में 30 जून 2025 को एक फार्मास्युटिकल फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट ने पूरे देश को हिला दिया। इस हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए। घटना इतनी भयानक थी कि पूरी इमारत मलबे में तब्दील हो गई और कई शवों की पहचान तक नहीं हो पाई।

📍 कहां हुआ हादसा?

यह हादसा संगेरेड्डी जिले के पटंचेरु औद्योगिक क्षेत्र में स्थित Sigachi Industries नाम की दवा फैक्ट्री में हुआ। यह इलाका फार्मा यूनिट्स के लिए जाना जाता है।

⏰ कब हुआ ब्लास्ट?

30 जून की शाम करीब 4:30 बजे यह ब्लास्ट हुआ। फैक्ट्री के ड्राईंग यूनिट में अचानक धमाका हुआ जिससे आसपास की यूनिटें भी हिल गईं।

⚠️ कैसे हुआ ये हादसा?

प्रारंभिक जांच के अनुसार, फैक्ट्री के एक ड्राईर यूनिट में केमिकल रिएक्शन के दौरान ओवरहीटिंग हो गई। इससे पहले गैस लीक हुई और फिर भयंकर ब्लास्ट हो गया।

😢 कितनी जानें गईं?

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार अब तक 36 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से कई शव इतनी बुरी तरह झुलस गए कि पहचान के लिए DNA टेस्ट करवाना पड़ा।

🏥 घायलों की हालत गंभीर

करीब 12 से ज़्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और उन्हें हैदराबाद के गांधी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक कई मरीजों की हालत नाज़ुक बनी हुई है।

👨‍🚒 कैसे हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन?

घटना के तुरंत बाद NDRF और SDRF की टीमें मौके पर पहुंचीं। दमकल कर्मियों ने कई घंटे तक आग बुझाई और मलबे से लोगों को निकाला।

🧪 DNA टेस्ट क्यों ज़रूरी?

फैक्ट्री में आग और धमाके के कारण कई शव बुरी तरह जल चुके थे। परिजनों को पहचानने में कठिनाई हो रही थी। इसलिए DNA टेस्टिंग के जरिए पहचान की प्रक्रिया शुरू की गई।

👨‍⚖️ क्या कहती है सरकार?

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने घटना पर दुख जताया है और 5 लाख रुपये मुआवज़े का ऐलान किया है। साथ ही जांच के आदेश भी दिए गए हैं।

🔍 कंपनी पर आरोप

स्थानीय मजदूरों का कहना है कि फैक्ट्री में सेफ्टी मापदंडों की अनदेखी की जाती थी। ना तो फायर अलार्म सही था, और ना ही कर्मचारियों को सुरक्षा किट दी जाती थी।

📸 सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

हादसे के बाद फैक्ट्री में लगी आग और मलबे में फंसे मजदूरों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। लोग सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

📢 जनता का गुस्सा

ट्विटर पर #FactoryBlast, #JusticeForWorkers जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं — “आखिर कब तक मजदूर यूं ही मरते रहेंगे?”

📄 पिछली घटनाएं भी चिंताजनक

ये पहली बार नहीं है जब तेलंगाना में इस तरह का हादसा हुआ हो। 2021 और 2023 में भी दो फैक्ट्रियों में इसी तरह के धमाके हुए थे, लेकिन किसी ने सबक नहीं लिया।

🤔 अब सवाल ये है…

🧾 निष्कर्ष

तेलंगाना का ये हादसा सिर्फ एक ब्लास्ट नहीं था, ये नीतियों की नाकामी और सुरक्षा की अनदेखी का नतीजा है। अगर अब भी सिस्टम नहीं जागा, तो कल और कितनी जिंदगियां जाएंगी, कोई नहीं जानता।

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⚖️ श्रमिक अधिकारों पर बड़ा सवाल

तेलंगाना फैक्ट्री ब्लास्ट ने एक बार फिर श्रमिकों के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या भारत में मजदूरों की जान की कोई कीमत नहीं? आज भी सैकड़ों फैक्ट्रियों में बिना सुरक्षा उपकरणों के काम कराया जाता है। मजदूरों को न तो हेलमेट मिलता है, न ही अग्निशमन ट्रेनिंग।

इस हादसे में मारे गए कई लोग डेली वेजेस पर काम कर रहे थे। उन्हें न मेडिकल सुविधा मिली, न बीमा। अब उनके परिवार के सामने जीविका का संकट खड़ा हो गया है।

🛑 फैक्ट्री एक्ट का उल्लंघन?

भारत में फैक्ट्री संचालन के लिए Factories Act, 1948 लागू होता है। लेकिन तेलंगाना की इस यूनिट में प्राथमिक सुरक्षा मानकों का भी पालन नहीं किया गया था। मजदूरों के मुताबिक:

यदि ये बातें सही हैं, तो यह कानूनी उल्लंघन की श्रेणी में आता है।

📋 प्रशासन की ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए

ऐसे हादसों में सिर्फ कंपनी ही नहीं, स्थानीय प्रशासन और निरीक्षण एजेंसियों की भी जवाबदेही बनती है। जब फैक्ट्री इंस्पेक्टर नियमित जांच करता है, तो फिर इतनी बड़ी खामी कैसे रह गई?

यह समय है कि सरकार सख्ती से जवाबदेही तय करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।

👨‍👩‍👧‍👦 पीड़ित परिवारों की कहानी

इस ब्लास्ट में जान गंवाने वाले महमूद अली तीन बच्चों के पिता थे। रोज़ 500 रुपए में फैक्ट्री में पैकिंग का काम करते थे। उनकी पत्नी सायरा ने कहा, “हमें पता ही नहीं चला कब सब कुछ खत्म हो गया। अब हमारे पास कुछ नहीं बचा।”

ऐसी ही कई कहानियां हैं — कोई एक दिन पहले ही शादी करके लौटा था, कोई रिटायरमेंट से कुछ महीने दूर था। यह सिर्फ आंकड़े नहीं, पूरे परिवारों की तबाही है।

🧯 कैसे टाला जा सकता था यह हादसा?

विशेषज्ञों के अनुसार अगर निम्नलिखित कदम लिए गए होते, तो शायद ये मौतें टाली जा सकती थीं:

यही वजह है कि अब मांग उठ रही है कि सरकार हर फैक्ट्री में अग्निसुरक्षा ऑडिट अनिवार्य करे।

📢 विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता क्या कह रहे हैं?

विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, “यह घटना बताती है कि गरीब मजदूरों की जान की कोई कीमत नहीं। सिर्फ अमीरों की फैक्ट्रियां चलें, बाकी जाएं भाड़ में।”

सामाजिक संगठनों ने न्यायिक जांच और स्थायी मुआवज़े की मांग की है। वे चाहते हैं कि सरकार पीड़ित परिवारों को 20 लाख तक सहायता दे और उनके बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाए।

📈 भारत में फैक्ट्री ब्लास्ट के आंकड़े

पिछले 5 सालों में भारत में कुल 820 से ज़्यादा औद्योगिक हादसे हुए हैं। इनमें से 60% के कारण बने:

यानी ये सिर्फ “एक्सीडेंट” नहीं हैं — ये इनसानी लापरवाही से हुई हत्याएं हैं।

📌 अब क्या होना चाहिए?

इस हादसे के बाद सिर्फ संवेदना जताने से कुछ नहीं होगा। अब ज़रूरत है:

🔚 निष्कर्ष: यह हादसा एक चेतावनी है

तेलंगाना का ये हादसा हमें बार-बार याद दिला रहा है कि अगर हमने अब भी नहीं सुधारा, तो हर महीने कोई नया महमूद अली, कोई नई सायरा रोती मिलेगी। वक्त है बदलने का। मजदूर केवल श्रमिक नहीं, वे इस देश की रीढ़ हैं।


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