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👉 “India vs Pakistan: हैंडशेक नहीं, अब होगी बड़ी कार्रवाई? जानिए ICC की रूल बुक का सच 🤯”

जौनपुर नहीं — दुबई में ‘नो-हैंडशेक’ विवाद: क्या ICC की रूल-बुक में सज़ा लिखी है? 🤝❌

Asia Cup 2025 के एक भावुक मैच के बाद दोनों टीमों के बीच पारंपरिक हैंडशेक न होने से सुर्खियाँ बन गईं। इस लेख में हम समझेंगे कि ICC और ACC की नियम-पुस्तक में क्या लिखा है, क्या किसी टीम पर कार्रवाई हो सकती है, और इस पर फैंस-राजनीति का क्या असर होगा। 🔍🏏

विवाद क्या है — संक्षेप में? 📰

India vs Pakistan के रोमांचक मैच के बाद खिलाड़ी आमतौर पर मैदान पर एक-दूसरे का सम्मान जताते हुए हैंडशेक करते हैं। इस बार कुछ कप्तानों और खिलाड़ियों ने पारंपरिक हैंडशेक नहीं किया — जिससे पाकिस्तान बोर्ड ने ACC को शिकायत भेजी और सोशल-मीडिया पर बहस चल निकली। इस व्यवहार को कुछ लोग ‘अनादर’ मान रहे हैं, तो कई का कहना है कि यह राजनीतिक और भावनात्मक परिस्थितियों का नतीजा था।

क्या हैंडशेक करना नियम है या रिवाज़? 📜

सीधी बात यह है कि हैंडशेक एक कानूनी नियम नहीं बल्कि क्रिकेट का एक परंपरागत शिष्टाचार है। Laws of Cricket या ICC Playing Conditions में कहीं भी स्पष्ट रूप से लिखा हुआ नहीं मिलता कि हैंडशेक अनिवार्य है और न करने पर सज़ा निश्चित है।

हालाँकि ICC के Code of Conduct और Playing Conditions में ‘Spirit of Cricket’ से जुड़ी धाराएँ मौजूद हैं — जो खिलाड़ियों से सम्मान, फेयर-प्ले और सकारात्मक व्यवहार की अपेक्षा करती हैं। यानी यदि कोई व्यवहार स्पष्ट रूप से अपमानजनक या विरोधी-खेल भावना का प्रमाण दे तो उस पर कार्रवाई की गुंजाइश बन सकती है।

ACC की शिकायत का मतलब क्या हो सकता है? 🏛️

जब किसी बोर्ड (जैसे PCB) की ओर से ACC या मैच-रेफरी के पास शिकायत जाती है, तो प्रक्रिया आमतौर पर इस तरह चलती है:

  1. शिकायत दर्ज होगी और उससे जुड़ी बातें रिकॉर्ड की जाएंगी।
  2. मैच रेफरी या डिसिप्लिनरी कमिटी देखेगी कि क्या Code of Conduct का कोई उल्लंघन हुआ है।
  3. यदि उल्लंघन पाया गया तो खिलाड़ियों/अधिकारियों को चेतावनी, फाइन या अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है — पर यह तभी होगा जब व्यवहार ‘disrespect’ या ‘misconduct’ की श्रेणी में आए।

साधारण तौर पर सिर्फ हैंडशेक न करना खुद-में अक्सर ऐसी सख्त सज़ा का कारण नहीं बनता — पर संदर्भ और बयान (post-match interviews / social posts) मायने रख सकते हैं।

पिछला इतिहास — क्या कभी ऐसा हुआ है? 🔁

क्रिकेट में भावनात्मक पलों और राजनीतिक तनाव के बीच समय-समय पर ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जहाँ पारंपरिक हाथ मिलाने की रस्म टूट गई। अधिकांश बार, सार्वजनिक आलोचना होती है, लेकिन आधिकारिक सज़ा दुर्लभ रही है — जब तक कि कोई अभद्र भाषा, बाधा या स्पष्ट नियम-उल्लंघन न हो।

क्या ICC सीधे तौर पर भारतीय टीम पर एक्शन ले सकता है? 🤔

सीधे शब्दों में — संभावना कम है कि सिर्फ हैंडशेक न करने पर ICC या ACC बड़ी सज़ा लगाएंगे। किन्तु निम्न बातें मायने रखती हैं:

  • क्या खिलाड़ी/आधिकारिक बयान किसी विरोधी पर व्यक्तिगत हमला करते हैं? (यदि हाँ, तो Code of Conduct लागू हो सकता है)
  • क्या टीम-मैनेजमेंट ने जानबूझकर ICC नियमों का उल्लंघन किया? (यदि कोई written protocol पाक/ACC/ICC ने दिया हो तो अलग बात)
  • क्या ऐसा व्यवहार बार-बार दोहराया जा रहा है और इसे गंभीर राजनीतिक/सामाजिक ताने-बाने के रूप में देखा जा रहा है? (फैन बेस और मीडिया दबाव बढ़ सकता है)

नतीजतन, तात्कालिक आधिकारिक कार्रवाई की संभावना तब ही बढ़ेगी जब घटना किसी और नियम-उल्लंघन से जुड़ी हो। वरना अकसर परिणाम पब्लिक रिएक्शन, बोर्ड के बयान और राजनीतिक चर्चा तक सीमित रहता है।

स्पोर्ट्समैनशिप और ‘Spirit of Cricket’ — क्यों महत्वपूर्ण है? ❤️🏏

‘Spirit of Cricket’ क्रिकेट का वह नैतिक आधार है जो खेल को सिर्फ स्कोरबोर्ड तक सीमित नहीं रहने देता। यह खिलाड़ियों से उम्मीद करता है कि वे प्रतिद्वंदी की कद्र करें, मैदान पर शिष्टाचार रखें और भावनात्मक जीत-हार के बावजूद सम्मान बनाए रखें।

हैंडशेक इस ‘Spirit’ का सबसे स्पष्ट प्रतीक है — लेकिन यही ‘Spirit’ शारीरिक इशारों से परे है: खेल-भाव, इज़्ज़त और अनुशासन से भी जुड़ा है। जब ये चीज़ें कमजोर पड़ती हैं तो क्रिकेट का सार्वजनिक चेहरा प्रभावित होता है — और यही वजह है कि बोर्ड और ICC संवेदनशील रहते हैं।

फैंस, मीडिया और राजनीति — किसका क्या रोल है? 📣

India vs Pakistan जैसे हाई-वोल्टेज मुकाबलों में खेल अक्सर राजनीति और राष्ट्रीय भावना के साथ बँध जाते हैं। मीडिया ऐसे मामलों को न केवल रिपोर्ट करता है बल्कि उसे रंग भी देता है। सोशल-मीडिया पर ट्रोलिंग, राष्ट्रवादी प्रतिक्रियाएँ और बोर्ड-स्तरीय बयान मामले को और बड़ा बना देते हैं।

इसीलिए कई बार बोर्ड प्रति-कदम सोच-समझकर उठाते हैं — खासकर जब खिलाड़ियों का निर्णय ‘ऊपर’ (सरकार/बोर्ड निर्देश) से लिया गया दावा किया जाए।

अगर आप चाहें — आप ऐसे समझें: एक चेक-लिस्ट ✅

यहाँ एक सरल चेक-लिस्ट है जिससे आप समझ सकते हैं कि आगे क्या-क्या हो सकता है:

  1. क्या PCB/ACC ने आधिकारिक शिकायत में Code of Conduct उल्लंघन का हवाला दिया? — अगर हाँ, तभी formal probe।
  2. अगर probe हुआ तो क्या match referee ने preliminary findings जारी की? — इससे दिशानिर्देश मिलेंगे।
  3. क्या BCCI/Indian team ने वापसी बयान/clarification दी? — PR handling से मामला शांत भी हो सकता है।
  4. क्या मीडिया-न्यूज़/सचिवयों के बयान मामले को अदालत/सतर्कता तक लाएंगे? — दुर्लभ पर संभव।

निष्कर्ष — आलोचना ज़रूरी, सज़ा शायद नहीं 🚦

संक्षेप में: हैंडशेक न होना एक सम्मान-सम्बंधी मुद्दा है और आलोचना का विषय बन सकता है। ICC की रूल-बुक में सीधे-सीधे “हैंडशेक अनिवार्य” जैसे निर्देश मौजूद नहीं हैं, पर ‘Spirit of Cricket’ के तहत व्यवहार की जाँच संभव है।

सबसे संभावित परिणाम सार्वजनिक आलोचना, बोर्ड के नोटिस और मीडिया गर्मजोशी है — सख्त आधिकारिक सज़ा तब ही आएगी जब कोई स्पष्ट Code of Conduct का उल्लंघन हो।

अंततः क्रिकेट एक खेल है और उसका दीर्घकालिक स्वास्थ्य तभी सुरक्षित रहेगा जब खिलाड़ी मैदान पर प्रतिद्वंद्वी का सम्मान बनाए रखें — चाहे नतीजा कुछ भी हो। 🕊️🏏

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ICC के Code of Conduct और Spirit of Cricket के प्रमुख बिंदु — संक्षेप

ICC Code of Conduct में खिलाड़ियों के लिए कई तरह के व्यवहारिक मानदंड दिए गए हैं — जैसे अभद्र भाषा न बोलना, जानबूझकर विरोधी टीम का अपमान न करना, और मैदान पर अनुशासन बनाए रखना। ‘Spirit of Cricket’ के तत्व खिलाड़ियों/कप्तानों से अपेक्षा करते हैं कि वे खेल की गरिमा बनाए रखें।

यदि ACC/ICC को लगे कि किसी बयान या हरकत ने इन मानकों का उल्लंघन किया है, तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है — पर केवल हैंडशेक न करना सामान्यत: सज़ा का सीधा कारण नहीं बनता।

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