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“‘ओम नमः शिवाय’ वाले धीरज कुमार का निधन 😢 आखिरी वक्त में ICU में थे भर्ती!”

😢 धीरज कुमार का निधन: टीवी और फिल्मों के चमकते सितारे की भावुक विदाई

भारतीय टेलीविजन और फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम, धीरज कुमार, अब हमारे बीच नहीं रहे। 15 जुलाई 2025 को, 79 वर्ष की उम्र में, उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 🙏

🛏️ अंतिम समय में अस्पताल में भर्ती

पिछले कुछ दिनों से धीरज कुमार जी की तबीयत ठीक नहीं थी। उन्हें तेज बुखार और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी। जब हालत बिगड़ने लगी, तो उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। ICU में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। लेकिन डॉक्टर्स की तमाम कोशिशों के बावजूद 15 जुलाई को उन्होंने आखिरी सांस ली।

🎬 अभिनय से निर्देशन तक का सफर

धीरज कुमार का करियर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा। उन्होंने 1970 और 80 के दशक में कई हिट फिल्मों में काम किया, जिनमें उन्होंने लीड और सपोर्टिंग दोनों तरह के रोल निभाए। लेकिन असली पहचान उन्हें छोटे पर्दे पर मिली।

उन्होंने कई धार्मिक धारावाहिक बनाए जो घर-घर में देखे जाते थे। ‘ओम नमः शिवाय’, ‘साईं बाबा’, और ‘शिर्डी साईं बाबा’ जैसे सीरियल्स आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं। 😊

🏢 Creative Eye: उनका विज़न

धीरज कुमार केवल एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक सफल निर्माता और डायरेक्टर भी थे। उन्होंने Creative Eye Ltd. नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया जो भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम बन गया।

उनकी सोच थी कि टीवी मनोरंजन का एक सशक्त माध्यम है और धार्मिक व सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए इसका सही इस्तेमाल होना चाहिए। उन्होंने इस विज़न को अपनी कहानियों में बखूबी पिरोया।

👪 पारिवारिक जीवन और सादगी

धीरज कुमार एक पारिवारिक व्यक्ति थे। वे लाइमलाइट से दूर रहकर अपने काम में विश्वास रखते थे। उनकी निजी जिंदगी बहुत शांत और सादा थी। वे अक्सर कहते थे कि असली स्टारडम स्क्रीन पर नहीं, बल्कि इंसान के व्यवहार में होता है।

🌟 इंडस्ट्री में उनके योगदान को सलाम

टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में धीरज कुमार का योगदान अमूल्य है। उन्होंने नई प्रतिभाओं को मंच दिया, कहानियों को सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से सजाया और भारतीय दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई।

उनके साथ काम करने वाले कलाकारों ने उन्हें एक मेहनती, विनम्र और दूरदर्शी व्यक्तित्व बताया है।

📺 मशहूर धारावाहिक जिनसे मिली पहचान

इन धारावाहिकों ने भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहचान बनाई। भारतीय संस्कृति को स्क्रीन पर प्रस्तुत करने का जो तरीका धीरज कुमार ने अपनाया, वो आज भी मिसाल है।

🗣️ सोशल मीडिया पर शोक की लहर

धीरज कुमार के निधन की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर शोक की लहर दौड़ गई। कई फिल्मी सितारों, टीवी एक्टर्स और डायरेक्टर्स ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। फैंस ने उन्हें “संस्कृति के रक्षक” और “छोटे पर्दे के संत” तक कहा।

एक यूजर ने लिखा: “धीरज कुमार जी ने हमारे बचपन को आकार दिया, उनकी आत्मा को शांति मिले।”

💬 आखिरी शब्द और उनकी सोच

धीरज कुमार जी का मानना था कि:
“अगर आपकी कहानियाँ लोगों को अच्छा सोचने पर मजबूर करें, तो आपने समाज को कुछ लौटाया।”

उनकी यही सोच उन्हें बाकी कलाकारों से अलग बनाती है।

🕯️ अंतिम विदाई

उनका अंतिम संस्कार 16 जुलाई को मुंबई में किया गया, जिसमें परिवार, करीबी दोस्त और फिल्म इंडस्ट्री के कई लोग मौजूद रहे।

हर किसी की आंखें नम थीं, लेकिन दिल में एक गर्व की भावना थी कि हमें धीरज कुमार जैसा कलाकार, निर्माता और इंसान मिला।

📖 निष्कर्ष

धीरज कुमार का जाना एक युग का अंत है। उन्होंने जो योगदान भारतीय टेलीविजन और फिल्म इंडस्ट्री को दिया है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक की तरह रहेगा। 🙏

उनकी यादें, उनके बनाए सीरियल्स और उनका काम हमेशा हमारे साथ रहेगा।

ओम शांति 🕉️

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🎭 70 के दशक के चॉकलेटी हीरो: धीरज कुमार का फिल्मी करियर

बहुत से लोग उन्हें टीवी निर्माता के रूप में जानते हैं, लेकिन धीरज कुमार का सफर शुरू हुआ था बॉलीवुड से। 1970 के दशक में जब राजेश खन्ना और धर्मेंद्र जैसे स्टार्स छाए हुए थे, धीरज कुमार ने भी अपने मासूम और शरीफ चेहरे से एक अलग पहचान बनाई थी।

उनकी शुरुआती फिल्मों में ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘बीबी ओ बीबी’, और ‘तलाश’ जैसी फिल्में शामिल थीं। उन्होंने सह-कलाकार के तौर पर शानदार काम किया और अपने शांत स्वभाव और गहरे अभिनय से सबका दिल जीता।

🎞️ कैमरे के पीछे का जादूगर

जहां अधिकतर कलाकार स्क्रीन पर आने को तरसते हैं, वहीं धीरज कुमार ने कैमरे के पीछे जाकर एक नई दुनिया रच दी। उन्होंने खुद स्क्रिप्ट लिखीं, डायरेक्शन किया, और प्रोडक्शन संभाला।

उनकी सोच थी कि **”कंटेंट राजा होता है”**, और उन्होंने हमेशा अपने सीरियल्स में गुणवत्ता को प्राथमिकता दी। चाहे वो शंकर भगवान की महिमा हो या साईं बाबा का चमत्कार — हर कहानी में एक सच्चाई और आध्यात्मिक ऊर्जा दिखती थी।

🧠 भारतीय मूल्यों के वाहक

धीरज कुमार का सारा काम भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ा रहा। उन्होंने कभी सस्ते ड्रामों या TRP की होड़ में गिरावट नहीं दिखाई।

उनके धारावाहिकों में न तो अश्लीलता थी, न ही हिंसा। बल्कि उन्होंने लोगों को ध्यान, भक्ति, नैतिकता और संस्कारों से जोड़ने का प्रयास किया।

🧒 नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा

आज जब टीवी इंडस्ट्री में बदलाव की लहर चल रही है, ऐसे समय में धीरज कुमार जैसे निर्माता एक मिसाल हैं। उन्होंने दिखाया कि धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कहानियाँ भी बड़ी हिट हो सकती हैं — अगर उन्हें ईमानदारी से पेश किया जाए।

उनके बनाए धारावाहिक आज भी OTT प्लेटफॉर्म्स पर देखे जाते हैं। कई युवा फिल्मकार उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।

💡 मुश्किलों से भरा सफर

धीरज कुमार का जीवन सिर्फ कामयाबी से भरा नहीं था। उन्होंने कई बार रिजेक्शन झेला, आर्थिक संकट देखा, और खुद को साबित करने के लिए लगातार मेहनत की। लेकिन हर बार वे और मजबूत होकर सामने आए।

उनका कहना था — “कला सिर्फ प्रसिद्धि पाने का जरिया नहीं, आत्मा की अभिव्यक्ति होती है।” यही सोच उन्हें भीड़ से अलग करती थी।

🧓 अंतिम समय में सादगी और शांति

अपने करियर के अंतिम चरण में धीरज कुमार ने पब्लिक अपीयरेंस कम कर दी थी। वे अपने परिवार और कुछ खास दोस्तों के साथ समय बिताते थे। धार्मिक ग्रंथ पढ़ना, ध्यान करना और समाज सेवा में समय देना उनकी दिनचर्या में शामिल था।

उनकी बेटी और पत्नी ने हमेशा उनका साथ निभाया, और उनके अंतिम समय में भी परिवार ही उनके पास था।

🎤 मशहूर हस्तियों की श्रद्धांजलि

हर किसी ने उन्हें एक शांत, समझदार और दूरदर्शी इंसान के रूप में याद किया।

📚 उनकी कहानियाँ – पीढ़ियों के लिए विरासत

धीरज कुमार की बनाई कहानियाँ सिर्फ मनोरंजन नहीं थीं — वे ज्ञान और चेतना से भरपूर थीं। उन्होंने mythological storytelling को मॉडर्न स्क्रीन पर लाने का बीड़ा उठाया और उसे सफलतापूर्वक निभाया।

आज भी जब कोई बच्चा “ॐ नमः शिवाय” या “साईं बाबा” की बात करता है, तो कहीं ना कहीं उनके बनाए दृश्यों की झलक ज़रूर होती है।

🙏 आखिर में… एक युग का अंत

धीरज कुमार का निधन सिर्फ एक व्यक्ति की विदाई नहीं, बल्कि एक सोच, एक शैली और एक संस्कार का अंत है। उनकी कमी हमेशा खलेगी, लेकिन उनके कामों के जरिए वे हमेशा जीवित रहेंगे।

वे यह सिखा गए कि “कला सेवा हो सकती है, अगर आप उसे सच्चे मन से करें।”

💐 धीरज कुमार जी को हमारी भावपूर्ण श्रद्धांजलि। 🌹

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