Bindas News

उत्तर प्रदेश; तीर्थ यात्रा बना मातम : यूपी में करंट से दो श्रद्धालुओं की मौत, क्या उन्हें ऐसा करना जरूरी था

⚡ तीर्थ यात्रा बना मातम : यूपी में करंट से दो          श्रद्धालुओं की मौत 😢

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में सावन के तीसरे सोमवार को हुए एक दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया 😔। अस्थायी लोहे की छतरी में करंट आने से दो श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई और कई घायल हो गए। यह घटना ना सिर्फ धार्मिक आयोजन के दौरान लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि प्रशासन कितनी बड़ी चूक कर सकता है।

📍 कहां हुआ हादसा?

यह हादसा बाराबंकी जिले के आसनश्वर महादेव मंदिर में हुआ। सावन सोमवार होने के कारण हजारों श्रद्धालु जल चढ़ाने पहुंचे थे। इसी दौरान एक अस्थायी टीन शेड में पानी भरने और बिजली के तारों के संपर्क में आने से करंट फैल गया ⚡।

🧍‍♂️ कौन थे मृतक?

हादसे में 28 वर्षीय रमेश कुमार और 17 वर्षीय प्रशांत कुमार की जान चली गई। दोनों श्रद्धालु जलाभिषेक करने आए थे और शिवभक्तों की भीड़ में शामिल थे। रमेश कुमार अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ आया था, जबकि प्रशांत इंटर का छात्र था।

⚠️ हादसे की वजह: करंट या लापरवाही?

प्रशासनिक जांच में सामने आया कि अस्थायी लोहे के ढांचे में बिजली का तार जुड़ा हुआ था, जो बारिश और पानी भरने की वजह से करंट फैलाने का कारण बना। इससे ये साबित होता है कि सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं थी

🚑 घायलों का इलाज

करीब 8 श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए। इन्हें बाराबंकी जिला अस्पताल और लखनऊ के KGMU में रेफर किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि कुछ की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।

👨‍⚖ प्रशासन की सफाई और FIR

DM बाराबंकी ने जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित विद्युत विभाग एवं आयोजकों पर FIR दर्ज की गई है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इन आदेशों से पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा?

💔 आस्था पर भारी व्यवस्था की कमी

भारत में करोड़ों लोग हर साल धार्मिक यात्रा पर जाते हैं। लेकिन इनमें से कई यात्राएं प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ जाती हैं। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के इस मंदिर में देखने को मिला जहां शिवभक्ति मातम में बदल गई 😢।

🗣 चश्मदीदों की जुबानी

एक चश्मदीद ने कहा – “हमने देखा कि लोग अचानक गिरने लगे, किसी को कुछ समझ नहीं आया। बिजली का झटका ऐसा था कि लोग चीखते हुए गिर गए।” इस बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हादसा कितना भयावह था।

🙏 सरकार और समाज की ज़िम्मेदारी

धार्मिक आयोजनों के समय सरकार की भूमिका सिर्फ परमिशन देने की नहीं होनी चाहिए, बल्कि सुरक्षा इंतज़ामों की कड़ी निगरानी भी आवश्यक है। आयोजकों को भी अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी ताकि श्रद्धा का माहौल हादसों में न बदले।

🔗 संबंधित लेख पढ़ें:

🔎 निष्कर्ष

श्रद्धा, आस्था और विश्वास जब प्रशासन की लापरवाही के सामने बेबस हो जाए तो ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। बाराबंकी की यह घटना न केवल सरकार के लिए चेतावनी है, बल्कि हर आयोजक और श्रद्धालु के लिए एक सबक भी है कि सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होना चाहिए 🙏।


🧹 सफाई और बिजली विभाग पर सबसे बड़ा सवाल ❓

घटना के बाद यह भी सामने आया कि जिस अस्थायी ढांचे में करंट फैला, उसकी वायरिंग स्थानीय बिजली विभाग द्वारा चेक ही नहीं की गई थी। वहीं मंदिर समिति और नगर पालिका के बीच जिम्मेदारी को लेकर टालमटोल का खेल शुरू हो गया है।

सवाल उठता है – इतनी भीड़ के बीच अस्थायी व्यवस्था कैसे की गई, और क्या बिजली विभाग ने कभी फिजिकल इंस्पेक्शन किया?

🚨 अस्थायी व्यवस्थाएं बनती हैं स्थायी खतरा

भारत में खासकर सावन, कुंभ और कांवर यात्रा जैसे अवसरों पर जगह-जगह अस्थायी पंडाल, टेंट, छतरी, और वायरिंग की जाती है। लेकिन इनमें से अधिकतर फायर सेफ्टी, वाटर लॉजिक और इलेक्ट्रिकल इंसुलेशन</strong जैसे जरूरी मानकों का पालन नहीं करते।

यही कारण है कि अक्सर इन यात्राओं में हादसे होते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि कोई सबक नहीं लिया जाता।

👨‍👩‍👧‍👦 पीड़ित परिवारों की कहानी सुन कर आंखें भर आती हैं

28 वर्षीय रमेश कुमार की पत्नी ने बताया – “वो तो भगवान शिव के दर्शन करने गया था, सोचा था मन्नत पूरी करने के लिए जल चढ़ाएगा… लेकिन वो ही नहीं लौटा।”

प्रशांत के पिता ने बताया कि वह सिर्फ दर्शन के लिए दोस्तों के साथ गया था, कभी नहीं सोचा था कि बेटा ही नहीं लौटेगा 😭।

🛑 धार्मिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण क्यों जरूरी है?

कई बार ऐसा देखा गया है कि जब बड़ी भीड़ होती है तो सुरक्षा इंतज़ाम ढीले पड़ जाते हैं। ऐसे में ट्रैफिक कंट्रोल, मेडिकल हेल्प डेस्क, फायर टेंडर और इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्शन को सरकारी प्रोटोकॉल में अनिवार्य कर देना चाहिए।

लोगों की जान की कीमत वोट बैंक से ज़्यादा है — लेकिन जब तक हादसे होते हैं, तब तक सब सोते रहते हैं 😡।

📣 सोशल मीडिया पर छाया मातम

जैसे ही हादसे की खबर फैली, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #BarabankiTragedy और #SawanYatra हादसे को लेकर लोगों ने प्रशासन को जमकर लताड़ा

कुछ यूजर्स ने लिखा – “श्रद्धा की जगह कब्रगाह बना दी गई…”, वहीं कुछ ने पुरानी घटनाओं को जोड़ते हुए कहा – “हर साल यही होता है, कोई जिम्मेदार नहीं।”

📈 प्रशासन की नाकामी का आंकड़ों से खुलासा

उत्तर प्रदेश में पिछले 5 वर्षों में धार्मिक आयोजनों में हुए हादसों की सूची बनाएं तो कम से कम 17 बड़े हादसे सामने आते हैं, जिनमें 52 से ज्यादा लोगों की जान गई।

हर बार जांच होती है, रिपोर्ट बनती है, लेकिन सज़ा न के बराबर मिलती है। यही कारण है कि लापरवाही हर साल बढ़ती जाती है।

📺 मीडिया की भूमिका: जागरूकता या टीआरपी?

कुछ चैनल्स ने इस घटना को लाइव कवर किया लेकिन कई बड़े चैनलों ने इसे “छोटा मामला” कहकर इग्नोर कर दिया। यही बात लोगों में मीडिया के प्रति भी अविश्वास बढ़ाती है।

जरूरी है कि मीडिया ऐसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाए ताकि व्यवस्था पर दबाव बने और भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हों।

🕯️ क्या श्रद्धा अब सुरक्षित नहीं रही?

ये सवाल हर उस परिवार के मन में है जिसने अपनों को खोया है। क्या हम भगवान की पूजा करने भी अब खतरे में रहेंगे? क्या आयोजकों को कभी जिम्मेदार ठहराया जाएगा?

जब तक प्रशासन, बिजली विभाग, स्थानीय निकाय, और आयोजक मिलकर मानक व्यवस्था लागू नहीं करते, तब तक श्रद्धा से ज़्यादा डर हावी रहेगा।

📝 सुझाव: ऐसी घटनाएं कैसे रोकी जा सकती हैं?

📌 अंतिम शब्द: ये केवल एक हादसा नहीं

यह एक चेतावनी है, एक झटका है — पूरे सिस्टम को, पूरे समाज को। अब भी समय है कि हम सब मिलकर बदलाव की पहल करें। वरना हर सावन, हर कांवर यात्रा, हर तीर्थ… मातम में बदलते रहेंगे।

🙏 उम्मीद है कि इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा को लेकर नई शुरुआत होगी।

 

 

Exit mobile version