Bindas News

प्रयागराज ड्यूटी खत्म होते ही लोको पायलट ने रोक दी मालगाड़ी! एक घंटे तक मचा हड़कंप 🚆😲

ड्यूटी खत्म… फिर भी ट्रेन क्यों नहीं चली? प्रयागराज में लोको पायलट के फैसले से मचा हड़कंप 🚆😲

प्रयागराज में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने रेलवे सिस्टम, कर्मचारियों के अधिकार और आम जनता की परेशानी — तीनों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यहां एक लोको पायलट ने ड्यूटी का समय पूरा होने के बाद मालगाड़ी आगे बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया। नतीजा ये हुआ कि मालगाड़ी करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक ट्रैक पर खड़ी रही और रेलवे फाटक बंद रहने से सड़क पर लंबा जाम लग गया। 😟

🚦 कहां और कैसे हुआ पूरा मामला?

यह घटना प्रयागराज जिले के लालगोपालगंज रेलवे स्टेशन के पास की है। मालगाड़ी अपने निर्धारित समय से आगे बढ़ने वाली थी, लेकिन इसी दौरान लोको पायलट की ड्यूटी का निर्धारित समय पूरा हो चुका था। जब सिग्नल हरा हुआ और ट्रेन को आगे बढ़ाने के निर्देश मिले, तब लोको पायलट ने कहा —

“मेरी ड्यूटी पूरी हो चुकी है, अब ट्रेन नहीं चलाऊंगा।” 😐

यहीं से शुरू हुआ पूरा विवाद।

⏰ ड्यूटी टाइम पूरा होना क्यों बना वजह?

रेलवे में लोको पायलट की ड्यूटी घंटों की सीमा तय होती है। ज्यादा समय तक ट्रेन चलाना न सिर्फ नियमों के खिलाफ है, बल्कि यात्रियों और माल की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है। इसी नियम का हवाला देते हुए लोको पायलट ने आगे बढ़ने से मना कर दिया।

लोको पायलट का कहना था कि अगर वह तय समय से ज्यादा ट्रेन चलाता है और कोई हादसा हो जाता है, तो जिम्मेदारी उसी पर आएगी। 😮

🚧 एक घंटे तक खड़ी रही मालगाड़ी

लोको पायलट के इनकार के बाद मालगाड़ी वहीं रुक गई। इस दौरान रेलवे क्रॉसिंग बंद रही, जिससे सड़क पर दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई। बाइक, कार, ऑटो और एंबुलेंस तक जाम में फंसी रहीं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि लोग परेशान होकर रेलवे फाटक के नीचे से निकलने की कोशिश करने लगे, जिससे हादसे का खतरा और बढ़ गया। 😬

😡 आम लोगों का फूटा गुस्सा

करीब एक घंटे तक जब फाटक नहीं खुला तो लोगों का धैर्य जवाब देने लगा। कई लोगों ने रेलवे प्रशासन को फोन किए, कुछ ने स्टेशन मास्टर से बहस की और कुछ लोग सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर करते नजर आए।

लोगों का सवाल था —

“अगर लोको पायलट की ड्यूटी खत्म हो गई थी, तो पहले से वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई?”

📞 रेलवे अधिकारियों की एंट्री

मामले की जानकारी मिलते ही रेलवे कंट्रोल और वरिष्ठ अधिकारी हरकत में आए। लोको पायलट को समझाने की कोशिश की गई, लेकिन उसने नियमों का हवाला देते हुए अपनी बात पर कायम रहने का फैसला लिया।

इसके बाद कुंडा से एक रिलीवर लोको पायलट को बुलाया गया। जब नया लोको पायलट मौके पर पहुंचा, तब जाकर मालगाड़ी आगे रवाना हो सकी। 🚆

🕵️‍♂️ जांच के आदेश, उठे कई सवाल

घटना के बाद रेलवे प्रशासन ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। अधिकारी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि:

⚖️ सही कौन – लोको पायलट या रेलवे?

यह मामला दो हिस्सों में बंट गया है।

👉 एक तरफ वो लोग हैं जो कहते हैं कि लोको पायलट ने नियमों के तहत सही कदम उठाया। थका हुआ पायलट अगर ट्रेन चलाए तो बड़ा हादसा हो सकता है।

👉 दूसरी तरफ वो लोग हैं जो मानते हैं कि रेलवे प्रशासन की लापरवाही से जनता को बेवजह परेशानी झेलनी पड़ी।

🚨 क्या इससे सिस्टम पर असर पड़ेगा?

रेलवे विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना आने वाले समय में एक मिसाल बन सकती है। अब रेलवे को ड्यूटी शेड्यूल, रिलीवर व्यवस्था और आपातकालीन प्लान पर और ज्यादा गंभीरता से काम करना पड़ेगा।

अगर ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं। 😟

📢 आम जनता के लिए सबक

इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया कि रेलवे जैसे बड़े सिस्टम में एक छोटी सी चूक भी हजारों लोगों की परेशानी बन सकती है।

साथ ही यह भी समझना जरूरी है कि कर्मचारियों की सुरक्षा और नियमों का पालन भी उतना ही जरूरी है, जितना समय पर ट्रेन चलाना।

📝 निष्कर्ष

प्रयागराज की यह घटना सिर्फ एक मालगाड़ी के रुकने की कहानी नहीं है, बल्कि यह सिस्टम, नियम और जिम्मेदारी के बीच की टकराहट को दिखाती है। लोको पायलट ने नियमों का पालन किया, लेकिन सिस्टम की कमी ने जनता को परेशानी में डाल दिया।

अब देखना होगा कि रेलवे प्रशासन इस घटना से क्या सीख लेता है और भविष्य में ऐसी स्थिति से कैसे निपटता है। 🚆


Exit mobile version